Unemployment Rate in Educated Indians: देश में पढ़े लिखे बेरोजगारों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. हाल ही में सामने आयी एक रिपोर्ट से ये पता चलता है. ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किए कैंडिडेट नौकरी की तलाश में हैं और उनकी डिग्रियां काम नहीं आ रही है. ये खुलासा कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट में हुआ है. उन्होंने बताया कि अगर पिछले पांच सालों की बात करें तो स्थिति सुधरी है लेकिन अभी भी युवाओं का एक बड़ा वर्ग नौकरी से वंचित है. जानते हैं डिटेल में.
कितने प्रतिशत युवा बेरोजगार
डिग्री और डिप्लोमा किए बहुत से कैंडिडेट्स के लिए जितनी नौकरियां चाहिए उतनी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं. ये गैप भरने में अभी भी बहुत समय लगेगा ऐसा अनुमान है. अगर आंकड़ों की बात करें तो जून 2023 तक डिप्लोमा होल्डर्स का अनइंप्लॉयमेंट रेट 12.1 परसेंट था. जबकि ग्रेजुएट्स के लिए ये 13.4 परसेंट और पोस्ट ग्रेजुशन किए कैंडिडेट्स के लिए 12.1 परसेंट था.
सेल्फ इंप्लॉयमेंट बढ़ा
एनुअल लेबर फोर्स सर्वे से पता चलता है कि साल 2018 की तुलना में साल 2023 तक बेरोजगारी दर घटी है लेकिन ज्यादातर युवाओं ने सेल्फ इंप्लॉयमेंट का रास्ता चुना है. इसी रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि स्वरोजगार करने वाले कैंडिडेट्स की संख्या बढ़ी है लेकिन सैलरी पर काम करने वाले वर्कर्स की संख्या में कमी आयी है. इस प्रकार बेरोजगारी दर में कुछ खास सुधार नहीं हुआ है.
इन क्षेत्रों में बढ़े काम के अवसर
कोटक ब्रोकेज की रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि जिन सेक्टर्स में पिछले पांच सालों में सेल्फ इंप्लॉयमेंट बढ़ा है उनमें एग्रीकल्चर, ट्रेड और ट्रांसपोर्ट मुख्य हैं. यही नहीं गांव की महिलाएं भी अब आगे आयी हैं और काम कर रही हैं.
यहां दिखा सुधार
कोटक का कहना है कि वास्तविक इनकम की अगर बात करें तो सैलरी पाने वाले और सेल्फ इंप्लॉएड दोनों ही कैटेगरी की इनकम के बारे में अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल होगा पर मोटे तौर पर ये कहा जा सकता है कि दोनों में ही इजाफा हुआ है. हालांकि आने वाले समय में सैलरीड इंप्लॉइज को ज्यादा चुनौतियों को सामना करना पड़ सकता है.
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