<p style="text-align: justify;">राजधानी दिल्ली में 8 सितंबर से लेकर 10 सितंबर के बीच में जी 20 सम्मेलन होने वाला है. इस सम्मेलन में अलग अलग देशों के नेता भारत पहुंचेंगे. सम्मेलन की तैयारियां भी अपने अंतिम चरण में हैं और पूरा देश समिट में शामिल होने वाले नेताओं की मेजबानी करने के लिए तैयार है.</p>
<p style="text-align: justify;">इस बीच खबर आ रही है रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहे है. जी-20 समिट से कुछ दिन पहले ही यानी 22 अगस्त से लेकर 24 अगस्त तक साउथ अफ्रीका में 5 देशों के समूह वाला ब्रिक्स सम्मेलन हुआ था जिसमें पुतिन नहीं गए थे. </p>
<p style="text-align: justify;">ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पुतिन इन सम्मेलनों में शामिल होने के क्यों बच रहे हैं. क्यों पुतिन ऐसे किसी देश में नहीं जा रहे जो आईसीसी यानी कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का सदस्य है?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>रूस के खिलाफ आईसीसी ने जारी किया था वारंट</strong></p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल साल 2022 के फरवरी महीने में रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था. जिसके उसके बाद मार्च 2023 को अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने पुतिन के खिलाफ वारंट जारी किया था.</p>
<p style="text-align: justify;">रूस के राष्ट्रपति के खिलाफ आरोप है कि युद्ध के दौरान वो यूक्रेन से बच्चों को अवैध तरीके से रूस लेकर गए थे. लेकिन यूक्रेन और रूस दोनों ही आईसीसी के मेंबर नहीं हैं इसलिए यह सभी नियम इन देशों पर लागू नहीं होते हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">अब ब्रिक्स सम्मेलन से रूस के राष्ट्रपति के नदारद रहने का एक कारण ये भी माना जा रहा है कि जिस देश में यह सम्मेलन आयोजित किया गया था वह देश यानी साउथ अफ्रीका आईसीसी की सदस्य है.</p>
<p style="text-align: justify;">ऐसे में जो देश आईसीसी का सदस्य होता है वो उनके द्वारा उठाये गए कदम को मानने के लिए बाध्य होता है. अगर पुतिन साउथ अफ्रीका जाते तो वहां उनकी गिरफ्तारी हो सकती थी. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या है आईसीसी</strong></p>
<p style="text-align: justify;">आईसीसी यानी इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की शुरुआत 1 जुलाई 2002 को हुई थी. ये संस्था दुनियाभर में होने वाले वॉर क्राइम, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच करती है.</p>
<p style="text-align: justify;">ये संस्था 1998 के रोम समझौते पर तैयार किए गए नियमों के आधार पर कार्रवाई करती है. ब्रिटेन, कनाडा, जापान समेत 123 देश रोम समझौते के तहत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के सदस्य हैं. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या भारत भी आईसीसी का सदस्य है?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">नहीं ऐसा नहीं है, क्योंकि भारत आईसीसी का सदस्य नहीं है. जिसका मतलब है कि भारत आईसीसी द्वारा जारी किए गए किसी भी नियमों और आदेशों को मानने के लिए बाध्य नहीं है. </p>
<p style="text-align: justify;">इसका एक उदाहरण 2015 से ले सकते हैं जब भारत अफ्रीका फोरम के लिए ओमर हसन अल बशीर भारत आये थे. उनके खिलाफ भी आईसीसी ने वारंट निकल रखा था.</p>
<p style="text-align: justify;">मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उस समय इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने भारत से उनकी गिरफ़्तारी के लिए सहयोग की बात कही थी लेकिन भारत ने उसका जवाब नहीं दिया. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>तो जी-20 में क्यों शामिल नहीं हो रहे पुतिन </strong></p>
<p style="text-align: justify;">अब रूस की तरफ से ये आधिकारिक बयान आया है कि पुतिन जी-20 सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे लेकिन इसकी कई वजहें बताई जा रही है. पहली वजह रूस यूक्रेन वॉर है.</p>
<p style="text-align: justify;">अभी बताया गया है कि पुतिन का सारा ध्यान वहां पर है. अभी कुछ दिनों पहले वेगनर चीफ प्रिगोझिन की प्लान क्रैश में मौत हो गई. जिसे कुछ लोग हत्या का नाम भी दे रहे हैं क्योंकि उसने रूस के राष्ट्रपति के खिलाफ आवाज़ उठाई थी. </p>
<p style="text-align: justify;">तो कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा जा रहा है कि रूस के राष्ट्रपति को इस बात की चिंता है कि कहीं वेगनर आर्मी हमला न कर दे. ऐसे में इन सभी परिस्थितियों के संभल जाने तक रूस के राष्ट्रपति कही और जाना सुरक्षित नहीं होगा. </p>
<p style="text-align: justify;">इन सबमें पुतिन की गिरफ्तारी की बात भी कही जा रही है लेकिन पुतिन की गिरफ़्तारी इतनी आसान भी नहीं है. एक तो जब आईसीसी ने ये अरेस्ट वारंट निकाला था उस समय भी रूस ने इसका विरोध किया था.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके साथ ही इंटरनेशनल क्रिमिनल लॉ के तहत हेड ऑफ़ स्टेट को कई इम्मुनिटीज़ दी जाती है. तो रूस के राष्ट्रपति के लिए भी वो नियम लागू होता है. इसलिए पुतिन की गिरफ़्तारी इतनी आसान नहीं है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पुतिन ने पीएम मोदी से की थी फोन पर की बात</strong></p>
<p style="text-align: justify;">रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार यानी 28 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री पीएम मोदी से टेलीफोन पर बातचीत भी की थी. इस दौरान उन्होंने जी 20 सम्मेलन पर चर्चा की.</p>
<p style="text-align: justify;">दोनों नेताओं ने हाल में हुए ब्रिक्स के विस्तार सहित साउथ अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन में हुए समझौतों के महत्व पर भी चर्चा की. </p>
<p style="text-align: justify;">पीएमओ ने बताया कि प्रधानमंत्री <a title="नरेंद्र मोदी" href="https://www.abplive.com/topic/narendra-modi" data-type="interlinkingkeywords">नरेंद्र मोदी</a> ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की और द्विपक्षीय सहयोग के कई मुद्दों पर प्रगति की समीक्षा की.</p>
<p style="text-align: justify;">दोनों नेताओं का इरादा बड़े पैमाने पर ऊर्जा परियोजनाओं को लागू करने, लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे का विस्तार करने का है. साथ ही दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग विकसित करने के इरादे की पुष्टि की है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जी20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत नहीं आएंगे पुतिन</strong></p>
<p style="text-align: justify;">पीएमओ ने बताया कि राष्ट्रपति पुतिन ने 9-10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की और बताया कि रूस का प्रतिनिधित्व रूसी संघ के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे.</p>
<p style="text-align: justify;">रूस के फैसले पर सहमति व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत की जी 20 अध्यक्षता के तहत सभी पहलों को रूस के लगातार समर्थन के लिए राष्ट्रपति पुतिन को धन्यवाद दिया. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या है जी-20 सम्मेलन </strong></p>
<p style="text-align: justify;">जी-20 सरकारों और सेंट्रल बैंक के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मंच है. इसका नाम G20 इस ग्रुप में शामिल देशों को देखते हुए रखा गया है. G20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग, आतंकवाद, मानव तस्करी, ग्लोबल वार्मिंग जैसे अहम मुद्दों पर राय तय करने का मुख्य मंच है.</p>
<p style="text-align: justify;">यह मंच दुनिया की जीडीपी का लगभग 85%, वैश्विक व्यापार का 75% से ज्यादा और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं. दुनिया की दो तिहाई आबादी यहां रहती है.</p>
<p style="text-align: justify;">G20 की स्थापना पहली बार साल 1999 में की गई थी. इसका पहला सम्मेलन दिसंबर 1999 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हुआ था. उस वक्त इस ग्रुप का गठन अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने से जुड़ी पॉलिसी पर चर्चा करने के लिए किया गया था. </p>