Friday, December 8, 2023
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Childhood obesity se kaise bachein,- चाइल्डहुड ओबेसिटी से कैसे बचें

हमेशा यही सुनने में मिलता है कि गोल मटोल बच्चे हेल्दी और स्वस्थ होते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए कई बार लोग बच्चों को ओवरइटिंग करवाना शुरू कर देते हैं, जो बच्चों में मोटापे का कारण साबित होता है। दरअसल, सेहतमंद होने और ओवरवेट होने में बहुत बारीक सा फर्क है। वे बच्चे जो हेल्दी हैं और एक्टिव है। वे पूरी तरह से स्वस्थ है। मगर वे बच्चे जो मोटे है, समय से लंबाई नहीं बढ़ रही और अधिकतर वक्त सुस्त रहते हैं। ऐसे बच्चे मोटापे के शिकार होते हैं। जानते हैं वो आसान उपाय जिनकी मदद से बच्चे मोटापे (childhood obesity) की समस्या से बच सकते हैं।


चाइल्डहुड ओबेसिटी (childhood obesity) से बढ़ता है बीमारियों का खतरा

डब्ल्यूएचओ के अनुसार शरीर में बहुत ज्यादा फैट्स जमा होने से नॉन कम्यूनिकेबल डिज़ीज़ का जोखिम लगातार बढ़ने लगता है। इससे शरीर में 13 तरह के कैंसर, टाइप .2 डायबिटीज़, हृदय संबधी समस्याएं और लंग्स प्रोब्लम का जोखिम बढ़ जाता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पिछले साल मोटापे के कारण दुनिया भर में 28 लाख लोगों की मौत हुई थी।

जर्नल ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म के मुताबिक भारत में चाइल्डहुड ओबेसिटी (childhood obesity) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्कूल गोइंग बच्चों की बात करें, तो 5.74 से 8.82 फीसदी तक बच्चे मोटापे (obesity) का शिकार है। वही 13 से 18 साल की उम्र के 21.4 फीसदी लड़के और 18.5 फीसदी लड़कियां मोटापे और ओवरवेट (overweight) का शिकार है। मेडिकल जर्नल द लांसेट के अनुसार 1990 से लेकर 2017 के दौरान भारतीय बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ी है। 4.98 फीसदी सालाना वृद्धि देखने को मिली है। वहीं 2030 में 17.5 फीसदी की वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है।

डीप फ्राइड और जंक फूड को बच्चे की मील में शामिल न करें। चित्र : अडोबी स्टॉक

बच्चों में बढ़ रहे मोटापे के कारण

1. फैट व शुगर इनटेक

अधिक मात्रा में जंक फूड खाने से शरीर में फैट्स औैर शुगर इनटेक (sugar intake) बढ़ जाता है। जो मोटापे (obesity) का कारण बनने लगता है। इससे शरीर में अतिरिक्त कैलोरीज़ जमा होने लगती है। जो बच्चों में लेजीनेस का कारण भी बनने लगता है।

मेडिकल जर्नल द लांसेट के अनुसार कुपोषण 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मौत का मुख्य कारण साबित हो रहा है। 2 से लेकर 4 साल की उम्र के 11.5 फीसदी बच्चे अधिक वजन वाले हैं। इसके अलावा 9 फीसदी बच्चे प्री डायबिटीक (pre diabetic) भी है।

2. तनाव का बढ़ना

लगातार बढ़ रही तनाव की स्थिति भी शरीर में मोटापे का कारण बनने लगती है। पढ़ाई या माता पिता के व्यवहार के कारण बच्चों के बिहेवियर में बदलाव दिखने लगते हैं। वे गुमसुम बैठे रहते हैं। इससे उनकी फिजिकल एक्टिविटीज़ (physical activities) कम हो जाती है। इससे शरीर में फैट्स जमा होने लगते हैं।

3. स्क्रीन टाइम

वे बच्चे जो देर तक फोन, टैब और टीवी में व्यस्त रहते हैं। उनके अंदर भी मोटापे (obesity) की समस्या बढ़ने लगती है। कई घंटों तक लगातार स्क्रीन के सामने रहने से आपका बॉडी वेट बढ़ता और बच्चे खेलने में ज्यादा वक्त नहीं बिताते हैं। ऐसे में स्क्रीन टाइम पर अंकुश लगाना बहुत ज़रूरी है।

screen time ko kis tarah karein manage
अपने बच्चे के स्क्रीन टाइम को कैसे करें मैनेज. चित्र : शटरस्टॉक

4. आउटडोर एक्टिविटीज़ की कमी

इन दिनों बच्चे दिनभर घर के अंदर ही अपना अधिकतर समय बिताते है। खेलने के लिए भी बच्चे इनडोर गेम्स को प्रेफरेंस देते हैं। इससे शरीर में फैट्स की मात्रा बढ़ने लगती है। वे माता पिता जो कामकाजी है। वे बच्चों को रोज़ाना पार्क नही ले जा पाते हैं।


जानते हैं बच्चों में बढ़ने वाली मोटापे की समस्या से बचने के उपाय

1. इटिंग हैबिट्स को बदलें

डीप फ्राइड और जंक फूड को बच्चे की मील में शामिल न करें। बच्चों की मील को हेल्दी बनाने के लिए उनकी डाइट में ताजे फल और सब्जियों को शामिल करें। इससे बच्चे की इटिंग हैब्टिस हेल्दी होने लगती है। जो उनके स्वास्थ्य को फायदा पहुंचाती है। साथ ही शरीर में कैल्शियम, प्रोटीन, जिंक और ओमेगा 3 फैटी एसिड की कमी को पूरा करने के लिए सीड्स और ड्राई फ्रूट्स को एड करें।

2. मिनी मील्स है मददगार

बच्चों को पोषण की खुराक देने के लिए मिनी मील्स के कॉसेप्ट को फॉलो करें। बच्चे को हर दो घण्टे में बड़ी मील्स देने की जगह मिनी मील्स दें। इसस न केवल खाना आसानी से डाइजेस्ट हो पाता है बल्कि बच्चे को खाने में न्यूनेस नज़र आती है। इससे खाने में बच्चों का इंटरस्ट बढ़ने लगता है। बच्चों की छोटी भूख के लिए 7 से 8 मिनी मील्स को बच्चों की डाइट में शामिल करें।

3. फिजिकल एक्टिविटी है ज़रूरी

बच्चों को शाम के वक्त कुछ देर पार्क में ले जाएं। जहां वे साइकलिंग, रोप स्किपंग और रनिंग के ज़रिए शरीर में जमा कैलोरीज़ को बर्न कर सकते है। इसके अलावा बच्चों को स्कूल में भी स्पोर्टस एक्टिविटीज़ ज्वाइन करवाएं। इससे बच्चे की मेंटल हेल्थ भी बेहतर होती है और वो खुद को एक्टिव और रिलैक्स महसूस करने लगता है।

4. खाने के समय स्क्रीन अवॉइड करें

जब आप बच्चे को खाना खिला रही है या बच्चे खुद खाना खा रहे हैं, तो उस वक्त टीवी देखना हानिकारक साबित हो सकता है। दरअसल, बच्चों का दिमाग स्क्रीन की ओर डायवर्टिड होता है। इससे बच्चा ओवरइटिंग (overeating) का शिकार हो जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ही खाना दें।

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