मौसम बदलने के साथ ही दिल्ली और एनसीआर रीजन में वायु प्रदूषण (Air Pollution) बढ़ने लगा है। वायु प्रदूषण में पौलयूटेंट का कंसंट्रेशन बढ़ने लगता है। इसके कारण हमारे लंग्स प्रभावित होने लगते हैं। वायु प्रदूषण दुनिया भर की आबादी के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है। ऐसी स्थिति में बचाव के ऊपाय करना जरूरी है। एक्सपर्ट बताते हैं कि डीप ब्रीदिंग वायु प्रदूषक से लंग हेल्थ का बचाव (deep breathing) कर सकते हैं।
ये हैं एयर पोल्यूटेंट (Air Pollutants)
फेफड़ों पर वायु प्रदूषण का हानिकारक प्रभाव वायु प्रदूषक के प्रकार और कंसंट्रेशन पर निर्भर करता है। वायु प्रदूषकों के सामान्य प्रकार हैं:
पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter or PM): ये छोटे कण हैं, जो वायुमार्ग में जलन पैदा कर सकते हैं। उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं।
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (Nitrogen Dioxide) : एक गैस जो एयरवेज को परेशान कर सकती है और अस्थमा या अन्य लंग रोगों का कारण बन सकती है।
ओजोन (Ozone) : एक गैस जो फेफड़ों की क्षमता को कम कर सकती है और एयरवेज को परेशान कर सकती है।
सल्फर डाइऑक्साइड (Sulphur Dioxide) : एक गैस जो एयरवेज सर्फेस को परेशान कर सकती है, खासकर अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों के लिए।
पार्टिकुलेट मैटर के कणों का आकार जितना छोटा होगा, वे वायुमार्ग में उतनी ही गहराई तक जा सकते हैं। फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। 2.5 2.5μm से कम सर्किल वाले पीएम कण फेफड़ों को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।
इसके कारण ये हो सकती है समस्या (Air Pollution causes Health Problems)
फोर्टिस हॉस्पिटल में प्ल्मोनोलोजिस्ट डॉ. विश्वजीत राणा बताते हैं, ‘ वायुमार्ग में जलन, डिस्पेनिया (सांस की तकलीफ), घरघराहट की समस्या हो सकती है। वायु प्रदूषण के कारण संवेदनशील व्यक्तियों में अस्थमा का दौरा भी पड़ सकता है। कई शोध बताते हैं कि वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों की बीमारियों, जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और कैंसर की संभावना अधिक होती है। ’
ब्रीदिंग एक्सरसाइज कर सकती है मदद (Deep Breathing Exercise for Lung Health)
डॉ. विश्वजीत राणा के अनुसार, हमारे लंग्स के अंत में एल्वियोलाई (Alveoli) संरचना होती है। यह फेफड़ों बहुत सूक्ष्म थैली होती है, जो लंग के लिए ऑक्सीजन को ट्रैप कर रखती है। एयर पोलुशन के कारण इसे यदि ऑक्सीजन नहीं मिलती है, तो सांस लेना कठिन हो जाता है। एल्वियोलाई तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज (deep breathing) जरूरी है। इसके तहत तेजी से सांस लेने और छोड़ने से ऑक्सीजन एल्वियोलाई तक पहुंच पाता है।
फेफड़े को डिटॉक्सीफाई करता है (Deep Breathing Detoxify Lungs)
सांस लेने की विधि पूरे सिस्टम को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करती है। सांस फूलने की समस्या (Breathlessness) से पीड़ित लोगों के लिए एक्सरसाइज फेफड़ों और मस्तिष्क से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद कर सकता है।
गहरी सांस फेफड़े के लिए जरूरी (How Deep Breathing helps in Air Pollution)
डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज न केवल सिस्टम को डीटोक्सिफाई करने में मदद करता है, बल्कि शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में भी मदद करता है। यह पोलूटेंट शरीर में अधिक समय तक रहने का मौका नहीं देती है। जिन व्यक्तियों को अस्थमा जैसी सांस संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें किसी एक्सपर्ट के मार्गदर्शन में इसका अभ्यास करना चाहिए।
कैसे करें डीप ब्रीदिंग (How to do Deep Breathing)
डीप ब्रीदिंग के लिए अपने कंधों को रिलैक्स छोड़ देना चाहिए। नाक से गहरी सांसे अंदर लेना चाहिए और फिर बाहर करना चाहिए। प्रत्येक सांस के साथ, सांस लेते हुए पेट को पूरी तरह फैला देना चाहिए। सांस छोड़ते समय पेट को पूरी तरह अंदर खींच लेना चाहिए। यानी पेट पूरी तरह सिकोड़ा हुआ हो।

नाक से जोर-जोर से सांस छोड़ते हुए सांस लेना शुरू करना चाहिए। प्रति चक्र एक सेकंड की दर से बलपूर्वक श्वास लेते हुए डीप ब्रीदिंग करना चाहिए।
सुनिश्चित करें कि सांस डायाफ्राम से आ रही है । जब पेट अंदर-बाहर हो रहा हो, तो व्यक्ति को अपने सिर, गर्दन, कंधों और छाती को स्थिर रखना चाहिए।
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